टिहरी बांध बनने से फ़ायदे और नुक़सान
*टिहरी बांध बनने से फ़ायदे और नुक़सान*
टिहरी बांध-
टिहरी बांध उत्तराखण्ड के टिहरी जिले में स्थित है । जिसका निर्माण 1976 में शुरू हुआ और यह बांध भागीरथी और भिलंगना नदी के संगम पर बनाया गया है । यह बांध 2400 मेगावाट की बिजली सप्लाई करता है ।
इस बांध की लम्बाई 575 मीटर, चौड़ाई 20 मीटर, तथा गहराई 260.5 मीटर है ।इसे “स्वामी रामतीर्थ सागर बांध” के नाम से भी जाना जाता है ।इस बांध के निर्माण कार्य की लागत लगभग 250 करोड़ $ है ।इसका पृष्ठीय छेत्रफल 52वर्ग मीटर है।
पुरानी टिहरी-
टिहरी में बांध बनने से पहले टिहरी 1980 के दशक में एक बहुत बड़े नगर के रूप में जाना जाता था । जिसे “पुरानी टिहरी” के नाम से बोला जाता था । टिहरी नगर लोगो के मेल मिलाप का प्रतीक माना जाता था।
पुरानी टिहरी पूरे गढ़वाल क्षेत्र का एकमात्र महानगर था, जहाँ हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होती थी जैसे कॉलेज हॉस्पिटल सभी प्रकार की आवश्यकता जो आज महानगरों में वर्तमान में उपलब्ध होती है।
टिहरी बांध बनने से फ़ायदे-
- जनजीवन की बिजली की समस्या दूर हुई।
- टिहरी के आसपास के क्षेत्रों में लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए।
- चूंकि यह बांध 2400 मेगावाट की बिजली उत्पन्न करता है यहाँ से विदेशों में भी बिजली निर्यात की जाती है ।
- इस बांध के बनने से टिहरी भारत में ही नही बल्कि पूरे एशिया के सभी देशों में प्रसिद्ध हो गया है ।
- सिंचाई की समस्या दूर हुई ।
टिहरी बांध बनने से नुक़सान-
- लोगों को अपने खेत-खलियान अपनी पूरी सम्पत्ति छोड़नी पड़ी।
- प्राकृतिक संसाधनो का अत्यधिक मात्रा में ह्रास हो गया।
- पुरानी टिहरी का बाज़ार बांध बनने के कारण जलमग्न हो गया।
- लोगों का अपनी मातृभूमि के प्रति ममत्व समाप्त हो गया।
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